समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी अभंग | Samcharan Drushti Vitevari Sajiri Abhang
नमस्कार या पोस्टमध्ये आपण समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी अभंग बघणार आहोत.
समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी अभंग |Marathi
समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी |
तेथे माझे हरी वृत्ती राहो || १ ||
अनिक न लागे मायिक पदार्थ |
तेथे माझे अर्थ नको देवा || २ ||
ब्रह्मादीप पदे दुःखाची शिराणी |
तेथे दूरचित जनी जडो देसी || ३ ||
तुका म्हणे त्याचे कळले आम्हा वर्म |
जे जे कर्म धर्म नाशवंत || ४ ||
* * * * *
समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी अभंग | English
Samcharan Drushti Vitevari Saajiri |
Tethe Maajhe Hari Vruttu Raaho || 1 ||
Anik Na Laage Maayik Padarth |
Tethe Maajhe Arth Nako Devaa || 2 ||
BrmhaaDeep Pade Dukhaachi Shiraani |
Tethe Durchit Jani Jado Desi || 3 ||
Tukaa Mhane Tyaache Kalale Aamhaa Varm |
Je Je Karm DHarm Naashavanat || 4 ||
* * * * *
हे पण नक्की वाचा 👇👇👇👇
- गुरुपरंपरेचे अभंग
- विठ्ठला गुंतलो या संसारी अभंग Lyrics
- सोमवार हा दिवस अभंग Lyrics
- गरुडाचे पायी अभंग Lyrics
तर आज या पोस्टमध्ये आपण समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी अभंग बघितला.
पोस्ट पूर्ण वाचल्याबद्दल खूप खूप धन्यवाद !!! 🙏🙏🙏🙏
Post a Comment