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समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी अभंग | Samcharan Drushti Vitevari Sajiri Abhang



नमस्कार या पोस्टमध्ये आपण समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी अभंग बघणार आहोत.

समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी अभंग |Marathi

समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी |
तेथे माझे हरी वृत्ती राहो || १ ||

अनिक न लागे मायिक पदार्थ |
तेथे माझे अर्थ नको देवा || २ ||

ब्रह्मादीप पदे दुःखाची शिराणी |
तेथे दूरचित जनी जडो देसी || ३ ||

तुका म्हणे त्याचे कळले आम्हा वर्म |
जे जे कर्म धर्म नाशवंत || ४ ||

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समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी अभंग | English

Samcharan Drushti Vitevari Saajiri |
Tethe Maajhe Hari Vruttu Raaho || 1 ||

Anik Na Laage Maayik Padarth |
Tethe Maajhe Arth Nako Devaa || 2 ||

BrmhaaDeep Pade Dukhaachi Shiraani |
Tethe Durchit Jani Jado Desi || 3 ||

Tukaa Mhane Tyaache Kalale Aamhaa Varm |
Je Je Karm DHarm Naashavanat || 4 ||

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तर आज या पोस्टमध्ये आपण समचरण दृष्टी विटेवरी साजिरी अभंग बघितला.

पोस्ट पूर्ण वाचल्याबद्दल खूप खूप धन्यवाद !!! 🙏🙏🙏🙏


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